भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चेन्नई में 26 दिसंबर 2011को विख्यात गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की 125वीं जयंती समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि- हम भारत और तमिलनाडु के महान सपूत तथा दुनिया के महानतम गणितज्ञ के जीवन और कार्यों का उत्सव मनाने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। श्रीनिवास रामानुजन की असाधरण प्रतिभा ने पिछली सदी के दूसरे दशक में गणित की दुनिया को एक नया आयाम दिया। उनकी याद में आयोजित इस समारोह में शामिल होना बेहद खुशी की बात है। ऐसे प्रतिभावान तथा गूढ़ ज्ञान वाले पुरुष और महिलाओं का कभी कभार जन्म होता है। पाश्चात्य गणितज्ञ जी. एस. हार्डी ने श्रीनिवास रामानुजन को यूलर, गॉस, आर्किमिडीज़ तथा आईज़ैक न्यूटन जैसे दिग्गजों की समान श्रेणी में रखा था। महान गणितज्ञ को श्रद्धाजंलि देने के लिए भारत सरकार ने उनके जन्मदिन,22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस और 2012 के पूरे वर्ष को राष्ट्रीय गणित वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। भारत की गणित के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी और गौरवशाली परंपरा है जिसे प्रोत्साहित और बढ़ाने की ज़रूरत है। रामानुजन की कहानी पिछले दशकों में विश्वविद्यालय की मूल्यांकन प्रणाली की कमी को दर्शाती है पर उसके साथ यह रामानुजन जैसे व्यक्तियों का ख्याल रखने में लचीलापन भी दर्शाती है। उसके बाद से कई बदलाव हुए हैं लेकिन अभी भी ऐसी प्रतिभाएं हैं जिनका सही तरीके से मूल्यांकन किया जाना चाहिए। हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों को इस समस्या के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। रामानुजन जैसा प्रतिभाशाली व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी चमक बिखेरेगा लेकिन हमें ऐसी प्रतिभाओं को भी उत्साहित करना चाहिए जो रामानुजन जैसी क्षमता न रखते हों।
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