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Showing posts from November 13, 2016

स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो (अमेरिका)

              -:स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो (अमेरिका:-   स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो (अमेरिका) में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक बेहद चर्चित भाषण दिया था। विवेकानंद का जब भी जिक्र आता है उनके इस भाषण की चर्चा जरूर होती है। पढ़ें विवेकानंद का यह भाषण...  अमेरिका के बहनो और भाइयो , आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है। मैं आपको दुनिया की सबसे प्राचीन संत परंपरा की तरफ से धन्यवाद देता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं और सभी जाति, संप्रदाय के लाखों, करोड़ों हिन्दुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं। मेरा धन्यवाद कुछ उन वक्ताओं को भी जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देशों से फैला है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी ...

वैदिक गणित (Vaidik ganit) के सोलह (16) सूत्र एवं उपसूत्र

                 -: वैदिक गणित (Vaidik ganit) के सोलह (16) सूत्र एवं उपसूत्र :- जगद्गुरु भारती कृष्ण तीर्थ जी द्वारा प्रतिपादित वैदिक गणित के 16 सूत्र एवं 13 उपसूत्र:- 16 सूत्र 1. एकाधिकेन पूर्वेण - पहले से एक अधिक के द्वारा 2. निखिलं नवतश्चरमं दशत: - सभी नौ में से तथा अन्तिम दस में से 3. उध्र्वतिर्यक् भ्याम् - सीधे और तिरछे दोनों विधियों से 4. परावत्र्य योजयेत् - विपरीत उपयोग करें। 5. शून्यं साम्यसमुच्चये - समुच्चय समान होने पर शून्य होता है। 6. आनुररूप्ये शून्यमन्यत् - अनुरूपता होने पर दूसरा शून्य होता है। 7. संकलनव्यवकलनाभ्याम् - जोड़कर और घटाकर 8. पूरणापूराणाभ्याम् - पूरा करने और विपरीत क्रिया द्वारा 9. चलनकलनाभ्याम् - चलन-कलन की क्रियाओं द्वारा 10. यावदूनम् - जितना कम है। 11. व्यष्टिसमिष्ट: - एक को पूर्ण और पूर्ण को एक मानते हुए। 12. शेषाण्यङ्केन चरमेण - - अंतिम अंक के सभी शेषों को। 13. सोपान्त्यद्वयमन्त्यम् - अंतिम और उपान्तिम का दुगुना। 14. एकन्यूनेन पूर्वेण - पहले से एक कम के द्वारा। 15. गुणितसमुच...

भारतीय गणित ग्रन्थ

क्रमांक --             ग्रंथ --        रचनाकार वेदांग ज्योतिष -- लगध बौधायन शुल्बसूत्र -- बौधायन मानव शुल्बसूत्र -- मानव आपस्तम्ब शुल्बसूत्र -- आपस्तम्ब सूर्यप्रज्ञप्ति -- चन्द्रप्रज्ञप्ति -- स्थानांग सूत्र -- भगवती सूत्र -- अनुयोगद्वार सूत्र बख्शाली पाण्डुलिपि छन्दशास्त्र -- पिंगल लोकविभाग -- सर्वनन्दी आर्यभटीय -- आर्यभट प्रथम आर्यभट्ट सिद्धांत -- आर्यभट प्रथम दशगीतिका -- आर्यभट प्रथम पंचसिद्धान्तिका -- वाराहमिहिर महाभास्करीय -- भास्कर प्रथम आर्यभटीय भाष्य -- भास्कर प्रथम लघुभास्करीय -- भास्कर प्रथम लघुभास्करीयविवरण -- शंकरनारायण यवनजातक -- स्फुजिध्वज ब्राह्मस्फुटसिद्धान्त -- ब्रह्मगुप्त करणपद्धति -- पुदुमन सोम्याजिन् करणतिलक -- विजय नन्दी गणिततिलक -- श्रीपति सिद्धान्तशेखर -- श्रीपति ध्रुवमानस -- श्रीपति महासिद्धान्त -- आर्यभट द्वितीय अज्ञात रचना -- जयदेव (गणितज्ञ) , उदयदिवाकर की सुन्दरी नामक टीका में इनकी विधि का उल्लेख है। पौलिसा सिद्धान्त -- पितामह सिद्धान...

भारतीय गणितज्ञों की सूची

                       भारतीय गणितज्ञों की सूची अनादि वेदकालऔर सिन्धु सरस्वती सभ्यता से आधुनिक काल तक भारतीय गणित के विकास का कालक्रम नीचे दिया गया है। सरस्वती-सिन्धु परम्परा के उद्गम का अनुमान अभी तक ७००० ई पू का माना जाता है। पुरातत्व से हमें नगर व्यवस्था, वास्तु शास्त्र आदि के प्रमाण मिलते हैं, इससे गणित का अनुमान किया जा सकता है। यजुर्वेद में बड़ी-बड़ी संख्याओं का वर्णन है ईसा पूर्व:- याज्ञवल्क्य , शतपथ ब्राह्मण के एक श्रुतर्षि | वेदत्रयी सम्बद्ध ज्योतिषविद्- लगधमुनि , वेदांगज्योतिष के रचयिता। 1350 ई पू अ.स. बौधायन , शुल्ब सूत्र 800 ई. पू अनुमानित समय मानव , शुल्ब सूत्र 750 ई पू अ. स. आपस्तम्ब , शुल्ब सूत्र 700 ई पू अ.स. अक्षपाद गोतम , न्याय सूत्र 550 ई पू कात्यायन , शुल्ब सूत्र 400 ई पू अ.स. पाणिनि , 400 ई पू, अष्टाध्यायी पिङ्गल , 400 ई पू छन्दशास्त्र भरत मुनि , 400 ई पू, अलङ्कार शास्त्र , सङ्गीत ईस्वी सन् 1-1000:- आर्यभट - 476-550, ...

What is Mathematics?

                            गणित क्या है?    गणित एक , पुराने व्यापक और गहरी अनुशासन (अध्ययन के क्षेत्र ) है। गणित की शिक्षा में सुधार के लिए काम कर रहे लोगों को समझने की जरूरत है " गणित क्या है?"                          A Tidbit of History    शिक्षण और सीखने के लिए एक औपचारिक क्षेत्र के रूप में गणित सुमेर निवासी द्वारा करीब 5,000 साल पहले विकसित किया गया था । मानव ज्ञान की कुछ प्राथमिक विधाओं में संभवतया गणित भी आता है और यह मानव सभ्यता जितना ही पुराना है। मानव जीवन के विस्तार और इसमें जटिलताओं में वृद्धि के साथ गणित का भी विस्तार हुआ है और उसकी जटिलताएं भी बढ़ी हैं। सभ्यता के इतिहास के पूरे दौर में गुफा में रहने वाले मानव के सरल जीवन से लेकर आधुनिक काल के घोर जटिल एवं बहुआयामी मनुष्य तक आते...