सभी गुरूजनों को सादर चरण-स्पर्श... ॐ卐ॐ卐ॐ卐ॐ卐ॐ卐ॐ卐ॐ卐ॐ卐ॐ卐ॐ卐ॐ करता करे ना कर सके, #गुरु करे सब होय। सात द्वीप नौ खंड में #गुरु से बड़ा ना कोय।। मैं तो सात संमुद्र की मसीह करु, लेखनी सब बदराय। सब धरती कागज करु पर, #गुरु गुण लिखा ना जाय।। #गुरुपूर्णिमा की हार्दिक बधाई!!! * गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुरेव परंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।। * अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात् परब्रह्म है। अपने गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ। गुरु यानी शिक्षक की महिमा अपार है। उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वेद, पुराण, उपनिषद, गीता, कवि, सन्त, मुनि आदि सब गुरु की अपार महिमा का बखान करते हैं। शास्त्रों में ‘गु’ का अर्थ ‘अंधकार या मूल अज्ञान’ और ‘रू’ का अर्थ ‘उसका निरोधक’ बताया गया है, जिसका अर्थ ‘अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला’ अर्थात अज्ञान को मिटाकर ज्ञान का मार्ग दिखाने वाला ‘गुरु’ होता है। गुरु को भगवान से भी बढ़कर दर्जा दिया गया है। ●सन्त कबीर कहते हैं:- गुरु गोविंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपणे, गोबिंद दि...