आदर्श (ideal) विद्यार्थी वह है -
*जो ज्ञान या विद्या की प्राप्ति को जीवन का पहला आदर्श मानता है।
*विद्या मनुष्य को नम्र (Humble), सहनशील (Tolerant ) एवं गुणवान (Talented) बनाती है।
*विद्या की प्राप्ति से ही छात्र आगे चलकर योग्य (Worthy) नागरिक (Citizen) बन पाता है।
*आदर्श विद्यार्थी को अच्छी पुस्तकों से प्रेम होता है।
*वह पुस्तक में बताई गई बातों को ध्यान में रखता है और अपने जीवन में उतार (Imbibes) लेता है।
*वह अच्छे गुणों को अपनाता है और बुराइयों (Evils) से दूर रहता है।
*उसके मित्र भी अच्छे सद्गुणों से युक्त होते हैं।
*वह अपने गुरुजनों का सम्मान करता है।
*वह अपने चरित्र (Character) को ऊंचा बनाने का प्रयास करता है।
*वह अध्यापकों तथा अभिभावकों (Guardians) की उचित सलाह पर अमल (Acts) करता है।
*आदर्श विद्यार्थी देश के भविष्य (Future) में सहायक साबित होते हैं।
*वे देश की सेवा करते हैं और अपने देश व परिवार का नाम ऊंचा करते हैं।
*आदर्श विद्यार्थी को सीधा और सच्चा होना चाहिए।
*उसे परिश्रमी और लगनशील (Passionate) होना चाहिए।
*उसे पढ़ाई के सिवा खेलकूद तथा अन्य क्रियाकलापों (Activities) में भी भाग लेना चाहिए।
Vidyarthi ke Five Lakshan as in Sanskrit (विद्यार्थी पंच लक्षणम्) :
*काक चेस्टा - (कोए जैसी चेस्टा हो )
Kak cheshta - (Inquisitive Nature like a crow)
*वको धयानम् - (बगुले जैसा ध्यान हो )
Vako Dhyanam - (Concentration of a swan)
*स्वान निद्रा - (कुत्ते जैसी नींद हो )
Shwan Nidra - (Light Sleeper like a Dog)
*अल्पाहारी - (कम खाने वाला हो )
Alpahari - (Light Eating Habit)
*गृह त्यागी - (घर को त्यागने वाला हो )
Grihatyagi - (Don’t be Homely)
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